Sunday, September 08 ,2024

Dengue Symptoms in Hindi: डेंगू बुखार के लक्षण, कारण और इलाज हिन्दी में


Dengue Symptoms in Hindi - डेंगू एक बेहद खतरनाक और जानलेवा बीमारी है जो एक संक्रमित मच्छर के काटने से होती है। इसमें तेज बुखार, उल्टी, सर दर्द, आँखों में दर्द, वजन कम होने, आदि लक्षण उभरते हैं। कुछ लक्षण बुखार रहते आते हैं और कुछ बुखार उतरने के बाद। इसके बचाव के लिए जरूरी है कि आप अपने आस-पास सफाई रखें, और मच्छरों के सक्रिय होने के वक्त घर के बाहर की गतिविधियाँ करें।

इसके अलावा ये जरूरी है कि आप यदि इससे संक्रमित हो जाएँ और लक्षणों का सामना हो तो जल्द से जल्द इसकी पहचान करने के लिए टेस्ट करवाएँ और चिकित्सक के बताए उपाय का पालन करें। अपने आप को हाइड्रेटेड रखना भी इसका अच्छा इलाज है, इसके लिए लगातार तरल पदार्थों का सेवन करें और जितना ज्यादा हो सके आराम करें।

डेंगू बुखार क्या है? (What is Dengue Fever in Hindi?)

Dengue Fever in Hindi - एक डेंगू संक्रमित मच्छर के किसी व्यक्ति को काटे जाने से डेंगू का संक्रमण होता है। ये रक्त के किसी प्रकार के संपर्क में आने से भी फैल सकता है। जब कोई मच्छर किसी डेंगू संक्रमित मनुष्य को काट ले तो मच्छर के शरीर में डेंगू वायरस फैलता है और वो मच्छर अपने पूरे जीवन काल में किसी भी मनुष्य को काटके उसे डेंगू वायरस से संक्रमित कर सकता है।

एक बार यदि कोई डेंगू वायरस से संक्रमित हो जाए तो उसके शरीर में उस वायरस की प्रतिरक्षा बन जाती है। डेंगू वायरस के होने से अचानक बुखार हो सकता है जो कई दिन तक बना रहता है और अचानक ऊपर या नीचे हो सकता है। इसके अलावा उस व्यक्ति को पेट दर्द, सर दर्द, उल्टी, थकान, साँस लेने में मुश्किल, आदि मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में जरूरी है कि डेंगू संक्रमित व्यक्ति को जल्द से जल्द चिकित्सक को दिखाया जाए और इस बीमारी को गंभीर होने से रोका जाए।

डेंगू के क्या लक्षण होते हैं? (Dengue Symptoms in Hindi)

Dengue Symptoms in Hindi - डेंगू के लक्षण दो तरह से सामने आते हैं; एक बुखार होने के बाद और एक उतरने के बाद। दोनों ही स्थितियों में लक्षण अलग-अलग होते हैं।

बुखार के दौरान लक्षण कुछ इस प्रकार हैं:

  • तेज बुखार
  • मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द
  • जी मचलना
  • बार-बार उल्टी आना
  • खुजली
  • लगातार और तेज सरदर्द
  • आँखों में दर्द

बुखार उतरने के बाद कुछ अन्य लक्षण भी सामने आते हैं जो कि इस प्रकार हैं:

  • पेट दर्द
  • नाक से खून आना
  • उल्टी, मल, या पेशाब में खून आना
  • त्वचा के नीचे खून आना, जो चोट जैसा दिखता है
  • लगातार उल्टी आना
  • हर वक्त सुस्ती और कमजोरी महसूस करना
  • डिहाइड्रेशन
  • वजन कम होना
  • थकान

डेंगू कैसे होता है?

डेंगू बुखार अधिकतर उन मच्छरों के काटने से फैलता है जो डेंगू वायरस से संक्रमित होते हैं। जब ये वायरस मच्छर के शरीर में फैलता है तो समय के साथ उसके और उतकों (tissues) में फैल जाता है। इस प्रक्रिया को पूरा होने में 8-12 दिन का समय लगता है और इसे extrinsic incubation period (EIP) बोला जाता है। इस प्रकार का मच्छर अपने पूरे जीवन भर इस वायरस को फैला सकता है।

इन मच्छरों में डेंगू वायरस ऐसे लोगों को काटने से फैलता है जिनके खून में वायरस पहले से मौजूद हो। जिन लोगों में डेंगू का असर ज्यादा गंभीर रूप से होता है जैसे कि तेज बुखार, ऐसे लोगों से मच्छरों में वायरस का संक्रमण होने की ज्यादा संभावना होती है। हालांकि ऐसा होने की संभावना कम है परंतु गर्भावस्था में भी डेंगू का माँ से बच्चे में फैलने का खतरा हो सकता है। ऐसा होने से बच्चे के पैदा होने में कुछ मुश्किलें सकती हैं, जैसे, समय से पहले जन्म, जन्म के समय कम वजन, आदि।

डेंगू की पहचान के लिए टेस्ट्स (Tips to Identify Dengue Fever in Hindi)

डेंगू वायरस की पहचान करने के लिए कुछ टेस्ट्स किए जाते हैं जो कुछ इस प्रकार हैं:

  • NS1 Antigen test: डेंगू होने के पहले सप्ताह के दौरान ही टेस्ट किया जाता है और ये डेंगू वायरस में मौजूद NS1 अंश की जांच करने के लिए किया जाता है।
  • IgG Antibody test: ये टेस्ट शरीर में मौजूद अलग-अलग एंटीबॉडीज़ को ढूंढता है जो डेंगू होने के बाद कई दिनों, महीनों, या वर्षों तक उसमें बना रहता है।
  • IgM Antibody test: इस जांच से शरीर में अलग-अलग एंटीबॉडीज़ को ढूंढता है जो डेंगू वायरस से संक्रमित होने पर उभरती हैं।
  • LFT Test: इस टेस्ट में सीरम बिलिरुबिन और एल्ब्यूमिन के स्तर की जांच की जाती है। इस जांच में यकृत विफलता के लक्षणों को जाना जाता है जो डेंगू वायरस के कारण होता है।
  • RT-PCR test: ये एक बेहतरीन परीक्षण माना जाता है जो डेंगू वायरस की आनुवांशिक सामग्री को जानने में मदद करता है। इसका अर्थ है reverse transcription polymerase chain reaction. ये बीमारी के शुरुआती दिनों में किया जाता है।
  • ECG: हृदय की गतिविधियों की जांच करने के लिए ECG का टेस्ट किया जाता है। डेंगू होने की वजह से शरीर में जरूरी तत्व जैसे कैल्शियम, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, आदि की कमी हो सकती है।
  • Chest x-ray: ये टेस्ट पता करता है कि फेफड़ों और हृदय के चारों ओर तरल पदार्थ इकट्ठा है या नहीं।
  • D-dimer: इस टेस्ट में रक्त के डी-डाइमर का टेस्ट किया जाता है। डी-डाइमर एक प्रकार का प्रोटीन का टुकड़ा होता है जो डेंगू होने के समय रक्त में उत्पन्न होता है। ऐसे होने से शरीर में दर्द, साँस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द, और हाथ-पैर की त्वचा के रंग में बदलाव जाता है।

डेंगू का इलाज क्या है? (Treatment of Dengue in Hindi)

इस खतरनाक और जानलेवा बीमारी के कई प्रकार के इलाज उपलब्ध हैं जो कि समय पर कर लेने चाहिए। इन उपायों से डेंगू बुखार के रोगी बेहतर महसूस कर सकते हैं। निम्नलिखित सूची में इलाज दिए गए हैं:

बुखार कम करने की दवाइयाँ: डेंगू का बुखार काफी गंभीर हो सकता है और कई दिन तक रह सकता है। ऐसे में पेरासिटामोल जैसी दवाइयाँ बुखार कम करने में मददगार होती हैं।

आराम: डेंगू रोगियों के लिए यह आवश्यक है कि वे भरपूर आराम करें ताकि शरीर को डेंगू से लड़ने में मदद मिले। इसके अलावा दवाइयों का असर भी आराम करने से बेहतर हो पाएगा।

तरल पदार्थ का सेवन: लगातार तरल पदार्थ का सेवन करना डेंगू पीड़ित व्यक्ति के लिए जरूरी है। तरल पदार्थ जैसे पानी, इलेक्ट्रोलाइट्स वाले तरल पदार्थ, नारियल पानी, आदि का सेवन करते रहने से शरीर को डेंगू वायरस से लड़ने में मदद मिलती है।

प्लेटलेट्स ट्रांसफ्यूजन: डेंगू के गंभीर मामलों में रोगी के शरीर में प्लेटलेट्स की कमी हो जाती है। ऐसे में प्लेटलेट्स ट्रांसफ्यूजन करना बेहद जरूरी हो जाता है।

सही समय पर चिकित्सा: चिकित्सक की सलाह लेना और दवाइयों का ठीक से सेवन करना डेंगू रोगियों के लिए अत्यावश्यक है। लक्षणों के सामने आते ही जल्द से जल्द इसका उपचार होना जरूरी है ताकि इसके खतरनाक रूप का सामना करना पड़े।

डेंगू से बचने के लिए क्या सावधानियाँ बरतें? (Precautions)

इस बीमारी से बचने के लिए कुछ खास बातों का ध्यान रखना जरूरी है:

  • अपने आस-पास सफाई रखें और किसी भी जगह पानी को ज्यादा दिनों तक इकट्ठा होने दें।
  • घर की खिड़कियों और दरवाजों में जाली का उपयोग करें जिससे मच्छर घुस सकें।
  • ध्यान रखें कि आपके घर के आस-पास कोई प्रजनन स्थल हो, और अगर हो तो उसे हटा दें।
  • जहाँ मच्छरों के होने की ज्यादा संभावना हो वहाँ अपने आप को ढक कर रखें, या लंबी बाजू वाले कपड़े, और हल्के रंग के कपड़े पहनें।
  • अगर आपके घर के बाहर बगीचा है तो उसमें लगे पेड़-पौधों को ट्रिम करके रखें।
  • जिस वक्त मच्छर सबसे ज्यादा सक्रिय होते हैं, उस वक्त बाहर जाना सीमित करें।
  • अपने आप को मच्छर से होने वाली बीमारियों के बारे में सूचित रखें। उन बीमारियों से बचने के उपायों का ज्ञान रखें और दूसरों को भी बताएं। और यदि आपको दुर्भाग्यवश इस रोग का सामना करना पड़े तो जल्द से जल्द एक चिकित्सक को दिखाएं और उनके बताए उपचार का पालन करें।

निष्कर्ष (Conclusion)

मच्छरों के काटने से खुद को बचाना और उनकी आबादी को कम करने के तरीके अपनाना ही डेंगू से बचने के उत्तम उपाय हैं। यदि आप किसी ऐसी जगह रहते हैं जहाँ मच्छरों के काटने का जोखिम ज्यादा है तो कुछ उपचार करने से इसकी रोकथाम की जा सकती है। इनमें से कुछ हैं मच्छर जाल लगाकर सोना, मच्छर भगाने वाली क्रीम या स्प्रे का छिड़काव करना, खिड़की और दरवाजों में जाल लगवाना, और जगह-जगह गंदा पानी इकट्ठा होने देना। ये सब उपाय करने से आप डेंगू जैसी बीमारी से काफी हद तक बच सकते हैं और खुद को और अपने आस-पास वालों को भी इस सूचना को देकर उन्हें बचा सकते हैं।

Medically Reviewed by - Dr. Amit Sharma