Sunday, September 08 ,2024

LFT Test in Hindi- लिवर फंक्शन टेस्ट क्या है? पूरी जानकारी हिंदी में


LFT Test in Hindi - लिवर शरीर का एक प्रमुख अंग है जो खून को साफ करता है और शरीर की metabolic activity को नियंत्रित रखता है। लिवर फंक्शन टेस्ट लिवर से जुड़ी बीमारी और उसकी वर्तमान स्थिति का आंकलन करने के लिए किया जाता है। इस टेस्ट को ब्लड सैंपल के द्वारा किया जाता है और इससे खून में मौजूद एंजाइम और प्रोटीनs का स्तर मापा जाता है। इस माप से लिवर की मौजूदा स्थिति का पता लगाया जाता है और उसके मुताबिक दवाई और इलाज निर्धारित किए जाते हैं।

SGPT, SGOT, Bilirubin, Globulin, Albumin, Alanine Transaminase, आदि LFT टेस्ट में मापे जाते हैं। इस टेस्ट की कीमत कुछ खास नहीं होती पर इसे सही समय पर करना बेहद जरूरी होता है ताकि लिवर की समस्या ना बढ़े और कोई गंभीर बीमारी जैसे hepatitis, cirrhosis और अन्य लिवर infection ना हो। 

लिवर फंक्शन टेस्ट क्या होता है? (What is LFT Test in Hindi?)

लिवर फंक्शन टेस्ट लिवर के स्वास्थ्य का आंकलन करने के लिए किया जाता है। LFT में कई तरह के बायोमार्कर मौजूद होते हैं जिनके स्तर से यह पता लगाया जाता है कि लिवर की स्थिति कैसी है, जैसे bilirubin, alanine transaminase, aspartate transaminase, SGPT, SGOT, आदि। इन एंजाइम का गिरा हुआ या बढ़ा हुआ स्तर लिवर से जुड़ी कई बीमारियों का कारण बन सकता है।

यदि आपको लिवर से जुड़ी समस्याओं से संबंधित कोई लक्षण कई दिनों से परेशान कर रहे हैं तो देरी करने से लक्षण गंभीर बीमारी का रूप ले सकते हैं। लिवर फंक्शन टेस्ट समय रहते करा लेना चाहिए ताकि लक्षणों को काबू किया जाए और सही इलाज मिल सके। इसके अतिरिक्त यदि आप लिवर से जुड़ी किसी बीमारी से पहले से जूझ रहे हैं तो इस टेस्ट के द्वारा आपको पता लग सकता है कि आपका इलाज आपकी बीमारी के लिए कितना लाभदायक है। 

कौन से लक्षण LFT निर्धारित करते हैं? (Symptoms of LFT in Hindi)

लक्षणों की सूची कुछ इस प्रकार है:

  • ज़्यादातर समय कमजोरी
  • थकान महसूस करना
  • उल्टी आना
  • जी मचलना
  • फूला हुआ पेट
  • पीलिया
  • खुजली
  • पेट में दर्द
  • हल्के रंग का मल
  • भूख न लगना
  • गहरा मूत्र

लिवर फंक्शन टेस्ट कितने प्रकार के होते है? (Types of LFT Test in Hindi)

लिवर फंक्शन टेस्ट में कई प्रकार के परीक्षण होते हैं जिनसे लिवर की सेहत का आंकलन ठीक तरह से हो पाता है। यह अलग-अलग तरह के एंजाइम होते हैं जिन्हें बायोमार्कर भी कहा जाता है, और ये इस प्रकार हैं: 

• Bilirubin: इस एंजाइम का बढ़ा हुआ स्तर पीलिया होने के खतरे की निशानी है। यह मल में पाया जाता है और LFT का एक बायोमार्कर है।

• Alkaline phosphatase: यह लिवर में पाए जाने वाला एक एंजाइम है जो हड्डियों में पाया जाता है। यह प्रोटीन को नियंत्रित करने में मदद करता है जो शरीर के लिए उपयोगी होता है।

• Alanine transaminase: यह भी लिवर का ऐसा एंजाइम है जो प्रोटीन को नियंत्रित करता है। इसका बढ़ा हुआ स्तर लिवर के लिए हानिकारक साबित होता है और कई तरह की समस्या उत्पन्न कर सकता है।

• Aspartate aminotransaminase: यह एंजाइम रक्त में amino acid को नियंत्रित करने में मदद करता है। 

लिवर फंक्शन टेस्ट के पहले की तैयारियाँ - (Preparation of LFT Test in Hindi)

LFT रक्त परीक्षण को सुचारु रूप से करने के लिए यह जरूरी है कि आप कुछ बातों का खास तौर से ध्यान रखें ताकि आपकी परीक्षण का परिणाम सटीक आए। कुछ आवश्यक तैयारियाँ इस प्रकार हैं:

• परीक्षण से 8-12 घंटे पहले आपको उपवास रखना जरूरी है, जिसका मतलब आप उस दौरान कुछ खा पी नहीं सकते सिवाय पानी के।

• आपको परीक्षण से पहले शराब, गुटखा, तंबाकू, आदि से परहेज़ करना चाहिए ताकि आपका परीक्षण खराब ना हो।

• परीक्षण होने के कुछ दिन पहले स्वस्थ आहार लें और रोजाना नियमित तौर पे खूब पानी पिएं। यदि आपका शरीर हायड्रेटेड रहेगा तो फ्लेबोटोमिस्ट को रक्त नमूना लेने में परेशानी नहीं होगी।

• यदि आप किसी तरह की दवाइयों का सेवन कर रहे हैं तो लिवर परीक्षण से पहले अपने चिकित्सक से बात करें। अपनी मर्जी से किसी दवा को शुरू या बंद ना करें क्योंकि कुछ दवाओं का असर इस परीक्षण पे नकारात्मक तरीके से पड़ सकता है।

• कोशिश करें कि परीक्षण के समय ढीले और छोटी बाजू के वस्त्र पहनें ताकि फ्लेबोटोमिस्ट आसानी से आपका रक्त नमूना ले सके।

LFT Test की नॉर्मल रेंज क्या है? (Normal Range of LFT Test in Hindi)

लिवर फंक्शन परीक्षण के पैरामीटर की नॉर्मल रेंज कुछ इस प्रकार है: 

Parameter

नॉर्मल रेंज

 

Bilirubin

 

2 umol/L – 21 umol/L

Aspartate aminotransferase

0 u/l – 35 u/l

Alanine aminotransferase (ALT)

7 u/l – 56 u/l

Alkaline phosphatase

 

41 u/l- 133 u/l

Gamma-glutamyl transferase

9 u/l – 85 u/l

Ceruloplasmin

 

200 mg/L – 600 mg/L

Nucleotidase

 

0 ug/L – 15 ug/L

 
 
लिवर को कैसे स्वस्थ रखा जाए? (How to keep the liver healthy in Hindi?)

लिवर को स्वस्थ रखना बेहद महत्वपूर्ण है जिससे गंभीर लिवर से जुड़ी बीमारियों से बचा जा सकता है। लिवर को स्वस्थ रखने के कई तरीके हैं जो निम्नलिखित सूची में दिए गए हैं: 

• संतुलित आहार अपनी दिनचर्या में शामिल करने से आप अपना स्वास्थ्य अच्छा रख सकते हैं और लिवर से जुड़ी समस्याओं से भी दूर रह सकते हैं।

• नियमित व्यायाम करना सेहत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे आपके रक्त का बहाव नियंत्रित होता है और आपकी सेहत अच्छी रहती है। व्यायाम से आप रोग मुक्त रह सकते हैं और अपने लिवर को भी स्वस्थ रख सकते हैं।

• वजन को नियंत्रित रखना लिवर की बीमारियों से दूर रहने का काफी अच्छा उपाय है। ज्यादा वजन केवल शरीर के लिए बीमारियां लेकर आता है।

• यदि आपको उल्टी, थकान, पेट दर्द, कमजोरी, पेट फूलना, भूख न लगना, पीलिया, आदि लक्षणों का सामना करना पड़ रहा है तो देरी किए बिना जल्द से जल्द किसी अनुभवी चिकित्सक को दिखाएं और अपना इलाज करवाएं।

• चिकित्सक के बताए बिना कोई दवाइयां ना लें। ऐसा करना आपकी सेहत पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है और लिवर फंक्शन भी खराब कर सकता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

शरीर का एक ज़रूरी अंग है लिवर (Liver), और यह रक्त को साफ करने और metabolism को नियंत्रित रखने का कार्य करता है। इसके सही फंक्शन से शरीर भी सही चलता है और व्यक्ति अपनी दिनचर्या ठीक से पूरी कर पाता है। पर यदि किसी कारणवश इसके फंक्शन में कोई गड़बड़ी आ जाए तो कई बीमारियां होने का खतरा हो सकता है।

लिवर फंक्शन परीक्षण में कई प्रकार के पैरामीटर होते हैं जिनके स्तर में ऊंच नीच होने से लिवर के स्वास्थ्य में दिक्कत आ सकती हैं जैसे hepatitis, cirrhosis, पीलिया, आदि। आपको लिवर संबंधी कोई परेशानी है इसका संकेत उसके लक्षणों से पता लगाया जा सकता है जैसे पेट दर्द, भूख न लगना, गहरा मूत्र, थकान होना, कमजोरी होना, आदि। यदि आप ऐसे लक्षणों से जूझ रहे हैं तो बिना देरी लिवर परीक्षण कराएं और चिकित्सक के बताए इलाज का पालन करें।