Thursday, November 21 ,2024

BP in Hindi: बीपी (ब्लड प्रेशर) क्या होता है-जानिए हाई-लो बीपी होने के लक्षण व कारण


BP in Hindi: रक्त को हृदय से पूरे शरीर में पहुँचाने के लिए जिस प्रेशर की ज़रूरत पड़ती है, उसे ब्लड प्रेशर कहते हैं। इस प्रेशर का ऊपर नीचे होना एक आम बात है जो शरीर की ज़रूरतें पूरी करने के लिए होता रहता है। इस फोर्स या प्रेशर का होना शरीर के लिए ज़रूरी है ताकि आर्टरीज़ या धमनियाँ शरीर में ऑक्सीजन और न्यूट्रिएंट्स पहुँचा सकें।

अगर ये फोर्स ज्यादा ऊपर या नीचे हो जाए तो कई शारीरिक परेशानियाँ हो सकती हैं जैसे स्ट्रोक, किडनी की बीमारी, और हृदय के रोग, आदि। इस प्रेशर का असामान्य प्रकार से ज्यादा ऊपर या ज्यादा नीचे होने के कई कारण हैं जैसे अनुवांशिक कारण, उम्र बढ़ना, ज्यादा शराब या तंबाकू सेवन, स्लीप एपनिया, स्ट्रेस, पानी की कमी, गर्भावस्था, आदि। ब्लड प्रेशर जानने के कई तरीके होते हैं जैसे एक्स-रे, सीटी-स्कैन, एमआरआई, ईकोकार्डियोग्राम, ईसीजी, आदि। ये जांच आप लक्षणों के सामने आने पर करवा सकते हैं और हाई बीपी के लक्षण जैसे सिर दर्द, सीने में दर्द, धुंधली दृष्टि, सांस लेने में तकलीफ, आदि हो तो उसका इलाज करवाएं और अपनी जीवनशैली बदलें।

बीपी (ब्लड प्रेशर) क्या होता है? (What is (Blood Pressure) BP in Hindi?)

BP in Hindi- ब्लड प्रेशर हृदय के शरीर में जाने वाले रक्त में आर्टरीज़ की मदद करता है। आर्टरीज़ के लिए इस प्रेशर का होना ज़रूरी है ताकि वे शरीर में हृदय से पंप किया हुआ ऑक्सीजन भरा ब्लड शरीर में पहुँचा सकें। ये मनुष्य को स्वस्थ बनाए रखने के लिए ज़रूरी है। यदि इस प्रेशर या दबाव में कोई ऊंच-नीच हो जाए तो ये शरीर में कई बीमारियाँ पैदा कर सकता है। अक्सर ये दबाव ऊपर नीचे होते रहता है पर यदि ज्यादा बड़े स्तर पे हो जाए तो परेशानी का कारण बन सकता है। एक सामान्य रेंज का ब्लड प्रेशर 120/80 mmHg से कम होता है। जब ये दबाव 90/60 mmHg से कम हो जाए तो ये लो ब्लड प्रेशर की श्रेणी में आता है, और यदि ये दबाव 140/90 mmHg तक या उससे अधिक हो जाए।

बीपी कितने प्रकार का होता है? (Types of BP in Hindi)

ब्लड प्रेशर 5 प्रकार का होता है जो कि निम्नलिखित सूची में दिए गए हैं:

नॉर्मल बीपी (Normal BP)- नॉर्मल बीपी 120/80 mmHg या उससे कम रेंज का होता है। यदि आपका बीपी इस रेंज में आता है तो आपका स्वास्थ्य ठीक माना जाएगा।

एलिवेटेड बीपी (Elevated BP)– एलिवेटेड बीपी तब होता है जब बीपी की रीडिंग 120-129 सिस्टोलिक और 80 mmHg से कम होती है। इसे यहीं पे नियंत्रित करना ज़रूरी है अथवा ये हाई ब्लड प्रेशर में बदल सकता है।

हाइपरटेंशन स्टेज 1 (Hypertension Stage 1)– जब 130 से 139 सिस्टोलिक और 80-89 mmHg डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर कुछ समय तक लगातार हो, तब हाइपरटेंशन स्टेज 1 होता है। इस स्थिति में जितना जल्दी हो सके एक चिकित्सक को दिखाएं और उपचार करें।

हाइपरटेंशन स्टेज 2 (Hypertension Stage 2)– जब ब्लड प्रेशर 140/90 mmHg से ज्यादा हो तब हाइपरटेंशन स्टेज 2 होता है। इस स्टेज में चिकित्सक आपको अपनी लाइफस्टाइल बदलने की सलाह देते हैं और कुछ दवाइयाँ भी दे सकते हैं।

हाइपरटेंसिव क्राइसिस (Hypertension Crisis)- यदि ब्लड प्रेशर की रीडिंग 180/120 mmHg से अधिक पहुँच जाए तो ये एक हाइपरटेंसिव क्राइसिस की स्थिति कही जाती है। अगर कुछ देर बाद भी आपकी ये रीडिंग नीचे आए तो जल्द से जल्द एक चिकित्सक को दिखाएं जो इसे नियंत्रण करने में आपकी मदद कर सकता है।

हाई बीपी और लो बीपी क्या होता है? (What is High & Low BP in Hindi?)

कई प्रकार की शारीरिक बीमारियों और अन्य कारणों की वजह से ब्लड प्रेशर ऊपर या नीचे जा सकता है जिससे कुछ परेशानियाँ हो सकती हैं। इसकी विस्तार में सूचना नीचे दी गई है:

हाई बीपी हाई ब्लड प्रेशर या उच्च रक्तचाप वो स्वास्थ्य समस्या है जिसमें मनुष्य के रक्त का दबाव सामान्य से ज्यादा हो जाता है। ये समस्या व्यक्ति के विभिन्न अंगों जैसे हृदय, दिमाग, फेफड़े, और किडनी के लिए परेशानी बन जाती है। अधिकतर तौर पे ये समस्या उम्र बढ़ने के साथ आम हो जाती है। उच्च रक्तचाप की रीडिंग 130 mmHg या इससे अधिक की होती है।

हाई बीपी के कारण (Causes of High BP in Hindi)

causes of high BP

उच्च रक्तचाप होने के कई कारण हैं जैसे:

  • उम्र बढ़नाउम्र बढ़ने से उच्च रक्तचाप की संभावनाएं बढ़ जाती हैं, इसलिए अक्सर देखा जाता है कि बड़ी उम्र के लोगों में ये समस्या काफी आम है।
  • किडनी रोगजिन लोगों को किडनी रोग होता है उनमें उच्च रक्तचाप होने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि किडनी रोग में शरीर में तरलता अधिक हो जाती है जो रक्तचाप को बढ़ा देती है।
  • असंतुलित आहारऐसा आहार जिसमें ज्यादा मात्रा में मीठा, तेल, मिर्च मसाला हो, वो रक्तचाप को बढ़ा देता है।
  • स्लीप एपनियानींद में कई बार जब सांस रुक जाए तो रक्तचाप बढ़ने का खतरा हो सकता है।

हाई बीपी के लक्षण (High BP Symptoms in Hindi)

हाई बीपी के लक्षण हैं सिर दर्द, सीने में दर्द, धुंधली दृष्टि, सांस लेने में तकलीफ, नाक से खून आना, कानों में घंटी बजना, याद्दाश्त कमजोर होना, नींद आना, उल्टी में खून आना, आदि।

high bp symptoms

हाई बीपी से होने वाली समस्या

उच्च रक्तचाप होने से अक्सर लोगों को किडनी की बीमारी, हृदय की बीमारी, स्ट्रोक, हार्ट अटैक, पेरिफेरल आर्टरी डिजीज, हार्ट फेल होने, आदि जैसी बीमारियों होने का खतरा होता है। ज़रूरी है कि आप हाई बीपी के लक्षण सामने आते ही चिकित्सक को दिखाएं और ज़रूरी उपचार करें।

हाई बीपी के लक्षण आपकी दिनचर्या पे गहरा असर डाल सकते हैं और आपको रोज के कामों को करने में तकलीफ हो सकती है। हाई बीपी के लक्षण कुछ इस प्रकार हैं:

  • सिर दर्द
  • सांस लेने में तकलीफ
  • नाक से खून आना
  • कानों में घंटा बजना
  • याद्दाश्त कमजोर होना
  • नींद आना
  • उल्टी में खून आना
  • धुंधली दृष्टि
  • सीने में दर्द

लो बीपी (Low BP in Hindi)

जब व्यक्ति के रक्तचाप का स्तर 90/60 mmHg या इससे कम हो जाए तो निम्न रक्तचाप होता है। ये स्तर सामान्य से कम है और इससे कई स्वास्थ्य संबंधी तकलीफें हो सकती हैं।

लो बीपी के कारणनिम्न रक्तचाप के कारण हैं तनाव, पानी पीना, बहुत ज्यादा रक्त बहना, गर्भावस्था, संक्रमण, हृदय रोग, एडिसन्स रोग, भय, रक्तदान, टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम, उच्च रक्तचाप की दवाइयाँ, अंदरूनी रक्तस्राव, हृदय की कुछ अन्य परेशानियाँ, आदि।

लो बीपी के लक्षण (Low BP Symptoms in Hindi)

  • चक्कर आनाबार बार चक्कर आना या कमजोरी का एहसास होना निम्न रक्तचाप का लक्षण होता है। वैसे तो ये और कई कारणों की वजह से हो सकता है लेकिन अगर एक से ज्यादा बार हो तो आपको इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और जल्द से जल्द इलाज कराना चाहिए।

low BP symptoms in hindi

  • थकान होनाज़रूरत से ज्यादा थकावट या आलस आना भी लो बीपी का लक्षण है। नींद पूरी लेने के बावजूद भी यदि आपको थकान की शिकायत रहे तो इसकी जांच कराएं।
  • पसीना आनावैसे तो पसीना आना एक आम बात है लेकिन अगर ज़रूरत से ज्यादा पसीना आए तो ये एक चिंता का कारण हो सकता है। ऐसे में आपको ज्यादा पानी पीना चाहिए और ठंडे पानी में नहाना चाहिए।
  • भूख लगनाभूख लगने या कम लगने के अन्य कारण होते हैं मगर उनमें से एक लो बीपी भी होता है। शरीर को इस परेशानी से बचाए रखने के लिए प्रतिदिन व्यायाम और पौष्टिक आहार लेना आवश्यक है।
  • ठंड लगनाज्यादा ठंड लगने या हाथ पैरों में ठंड का एहसास होना लो बीपी के कारण हो सकता है।

लो बीपी के उपचार

  • खाने में नमक की मात्रा बढ़ाने से लो बीपी की शिकायत में सुधार सकता है।
  • प्रतिदिन व्यायाम करना
  • पौष्टिक आहार लेना
  • बिस्तर से धीरे उठना
  • तनाव और चिंता कम रखना
  • अधिक से अधिक पानी पीना
  • चिकित्सक को दिखाना और उनके सुझाव का पालन करना

बीपी बढ़ने और घटने के कारण

ब्लड प्रेशर हमेशा ही घटता या बढ़ता रहता है और इसकी वजह हमारे काम और शरीर की पोजीशन भी होती है। जब हम आराम या ध्यान की स्थिति में होते हैं, तब रक्तचाप कम हो जाता है, अथवा किसी व्यायाम जैसे दौड़ना, भागना, आदि या किसी खुशी या उत्साह की बात पर रक्तचाप बढ़ जाता है। परंतु जब बिना किसी वजह रक्तचाप बहुत ज्यादा कम या ज्यादा हो जाए, और लंबे समय तक वैसा ही रहे, तब एक चिंता की बात होती है और इसका जल्द से जल्द जांच और इलाज होना चाहिए। इसके घटने और बढ़ने के और भी वजह होती है जैसे उम्र बढ़ना, शरीर की पोजीशन बदलना, दवाइयों का सेवन, आदि।

Read More: LFT Test in Hindi- लिवर फंक्शन टेस्ट क्या है? पूरी जानकारी हिंदी में

बीपी नापने का तरीका

रक्तचाप को नापने का सही समय हमेशा आराम की स्थिति में होता है और तभी इसका सही नाप आता है। यदि आपने दौड़ने या ज्यादा चलने के बाद इसे नापा तो ये आपके शरीर का सही रक्तचाप स्तर नहीं बताएगा, बल्कि स्तर बढ़ा हुआ आएगा। बीपी को स्फिग्मोमैनोमीटर (sphygmomanometer) नाम की मशीन से नापा जाता है। अगर इस मशीन में रीडिंग ज्यादा आती है तो वो उच्च रक्तचाप होता है और कम रीडिंग निम्न रक्तचाप होता है। रक्तचाप को क्लिनिक में या घर पे भी नापा जा सकता है।

BP test at home

बीपी नापने से पहले की तैयारी और सावधानियां

यदि आपको लो या हाई बीपी के लक्षण होने की संभावना नजर रही है तो को आप क्लिनिक में जाकर चेक करवाएं और यदि आप घर पर कर रहे हैं तो कुछ जरूरी बातों का पालन करना आवश्यक है, जैसे:

  • कम से कम 30 मिनट पहले कैफीन, शराब, एक्सरसाइज, आदि से बचें ताकि रक्तचाप बढ़ा हुआ ना आए।
  • रक्तचाप नापने के लिए एक आरामदायक पोजीशन में बैठे, जैसे कि कुर्सी।
  • अपने हाथ को सीधा रखें और मशीन में दिए कफ को अपने हाथ पर बांधें।
  • अब कफ एक छोटे हैंड पंप से फुलाया जाएगा और नार्मल रक्तचाप से 20 या 30 mm तक फुलेगा। इसके फूलने पर स्टेथोस्कोप को अपनी कोहनी के पास रखें और पहली पल्स बीट को नोट करें।
  • पल्स की आवाज रुकने तक बलून को डीफ़्लेट होने दें और आवाज के रुकने पर रिजल्ट फिर से नोट करें।
  • ये आपका सिस्टोलिक और डायास्टोलिक ब्लड प्रेशर होगा।

Read More: Pregnancy Symptoms in Hindi- जानें गर्भावस्था के पहले हफ्ते में क्या लक्षण दिखाई देते हैं

बीपी सामान्य रखने के लिए टिप्स:

रक्तचाप का सामान्य होना अच्छे स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है। लो बीपी या हाई बीपी के लक्षण उत्पन्न हों और रक्तचाप नियंत्रित रहे, इसके लिए निम्नलिखित घरेलू उपचारों का पालन करें:

Blood Pressure Level Test at home

पौष्टिक और संतुलित आहारसही समय पे, सही मात्रा और संतुलन पे खाना खाना आपको कई बीमारियों से दूर रख सकता है। कोशिश करें कि अपने आहार में भरपूर पोषण हो और उसका सेवन सही समय पर हो ताकि आपको उसका ज्यादा से ज्यादा फायदा हो सके।

खूब पानी पिएंशरीर को सबसे ज्यादा आवश्यकता पानी की होती है इसलिए जरूरी है कि आप समय-समय पर पानी पीते रहें। अधिक से अधिक पानी पीना आपको ज्यादातर बीमारियों से बचा सकता है एवं बीपी से भी।

मोटापा कम रखेंकोशिश करें कि आपका खान-पान संतुलित मात्रा में हो और यदि आपका वजन नियंत्रित नहीं है तो उसे कम करने की कोशिश करें। अधिक मोटापा अनेक बीमारियों का कारण होता है।

नियमित जांच कराएंयदि आपको बीपी की शिकायत है तो एक चिकित्सक से नियमित तौर पे जांच कराते रहें और उनके बताए इलाज का पालन करें।

दवाइयों का सेवन ना छोड़ेंबीपी के रोग में दवाइयां छोड़ना आपके लिए परेशानी खड़ी कर सकता है। आपके चिकित्सक ने जो भी दवाइयां आपको बताई हैं, जरूरी है कि आप उनका सेवन लगातार करें और चिकित्सक से बात किए बिना उनमें कोई बदलाव ना करें, और ना ही उनका सेवन बीच में छोड़ें।

Read More: PCOD Meaning in Hindi: पीसीओडी का मतलब, कारण, लक्षण और इलाज कैसे करें

निष्कर्ष (Conclusion)

यदि आपको लंबे समय से बीपी की शिकायत है तो अपने चिकित्सक से लगातार संपर्क बनाए रखें और हर कुछ समय पे जांच कराते रहें। अपनी दिनचर्या में पौष्टिक आहार, व्यायाम, और ध्यान को शामिल करें। ये आपके बीपी को नियंत्रित रखने में आपकी पूरी मदद करेगा। इसके अतिरिक्त अगर आपको निम्न या उच्च रक्तचाप के लक्षणों का अनुभव हो रहा है तो क्लिनिक या घर पर ही इसकी जांच करें और चिकित्सक से संपर्क करके इसका इलाज करें। चिंता, तनाव, ज्यादा तेल या मिर्च का खाना, शराब, तंबाकू, आदि से दूर रहें।

Medically Reviewed by -  Dr Ankit Gupta