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BP in Hindi: रक्त को हृदय से पूरे शरीर में पहुँचाने के लिए जिस प्रेशर की ज़रूरत पड़ती है, उसे ब्लड प्रेशर कहते हैं। इस प्रेशर का ऊपर नीचे होना एक आम बात है जो शरीर की ज़रूरतें पूरी करने के लिए होता रहता है। इस फोर्स या प्रेशर का होना शरीर के लिए ज़रूरी है ताकि आर्टरीज़ या धमनियाँ शरीर में ऑक्सीजन और न्यूट्रिएंट्स पहुँचा सकें।
अगर ये फोर्स ज्यादा ऊपर या नीचे हो जाए तो कई शारीरिक परेशानियाँ हो सकती हैं जैसे स्ट्रोक, किडनी की बीमारी, और हृदय के रोग, आदि। इस प्रेशर का असामान्य प्रकार से ज्यादा ऊपर या ज्यादा नीचे होने के कई कारण हैं जैसे अनुवांशिक कारण, उम्र बढ़ना, ज्यादा शराब या तंबाकू सेवन, स्लीप एपनिया, स्ट्रेस, पानी की कमी, गर्भावस्था, आदि। ब्लड प्रेशर जानने के कई तरीके होते हैं जैसे एक्स-रे, सीटी-स्कैन, एमआरआई, ईकोकार्डियोग्राम, ईसीजी, आदि। ये जांच आप लक्षणों के सामने आने पर करवा सकते हैं और हाई बीपी के लक्षण जैसे सिर दर्द, सीने में दर्द, धुंधली दृष्टि, सांस लेने में तकलीफ, आदि हो तो उसका इलाज करवाएं और अपनी जीवनशैली बदलें।
BP in Hindi- ब्लड प्रेशर हृदय के शरीर में जाने वाले रक्त में आर्टरीज़ की मदद करता है। आर्टरीज़ के लिए इस प्रेशर का होना ज़रूरी है ताकि वे शरीर में हृदय से पंप किया हुआ ऑक्सीजन भरा ब्लड शरीर में पहुँचा सकें। ये मनुष्य को स्वस्थ बनाए रखने के लिए ज़रूरी है। यदि इस प्रेशर या दबाव में कोई ऊंच-नीच हो जाए तो ये शरीर में कई बीमारियाँ पैदा कर सकता है। अक्सर ये दबाव ऊपर नीचे होते रहता है पर यदि ज्यादा बड़े स्तर पे हो जाए तो परेशानी का कारण बन सकता है। एक सामान्य रेंज का ब्लड प्रेशर 120/80 mmHg से कम होता है। जब ये दबाव 90/60 mmHg से कम हो जाए तो ये लो ब्लड प्रेशर की श्रेणी में आता है, और यदि ये दबाव 140/90 mmHg तक या उससे अधिक हो जाए।
ब्लड प्रेशर 5 प्रकार का होता है जो कि निम्नलिखित सूची में दिए गए हैं:
नॉर्मल बीपी (Normal BP)- नॉर्मल बीपी 120/80 mmHg या उससे कम रेंज का होता है। यदि आपका बीपी इस रेंज में आता है तो आपका स्वास्थ्य ठीक माना जाएगा।
एलिवेटेड बीपी (Elevated BP)– एलिवेटेड बीपी तब होता है जब बीपी की रीडिंग 120-129 सिस्टोलिक और 80 mmHg से कम होती है। इसे यहीं पे नियंत्रित करना ज़रूरी है अथवा ये हाई ब्लड प्रेशर में बदल सकता है।
हाइपरटेंशन स्टेज 1 (Hypertension Stage 1)– जब 130 से 139 सिस्टोलिक और 80-89 mmHg डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर कुछ समय तक लगातार हो, तब हाइपरटेंशन स्टेज 1 होता है। इस स्थिति में जितना जल्दी हो सके एक चिकित्सक को दिखाएं और उपचार करें।
हाइपरटेंशन स्टेज 2 (Hypertension Stage 2)– जब ब्लड प्रेशर 140/90 mmHg से ज्यादा हो तब हाइपरटेंशन स्टेज 2 होता है। इस स्टेज में चिकित्सक आपको अपनी लाइफस्टाइल बदलने की सलाह देते हैं और कुछ दवाइयाँ भी दे सकते हैं।
हाइपरटेंसिव क्राइसिस (Hypertension Crisis)- यदि ब्लड प्रेशर की रीडिंग 180/120 mmHg से अधिक पहुँच जाए तो ये एक हाइपरटेंसिव क्राइसिस की स्थिति कही जाती है। अगर कुछ देर बाद भी आपकी ये रीडिंग नीचे न आए तो जल्द से जल्द एक चिकित्सक को दिखाएं जो इसे नियंत्रण करने में आपकी मदद कर सकता है।
कई प्रकार की शारीरिक बीमारियों और अन्य कारणों की वजह से ब्लड प्रेशर ऊपर या नीचे जा सकता है जिससे कुछ परेशानियाँ हो सकती हैं। इसकी विस्तार में सूचना नीचे दी गई है:
हाई बीपी हाई ब्लड प्रेशर या उच्च रक्तचाप वो स्वास्थ्य समस्या है जिसमें मनुष्य के रक्त का दबाव सामान्य से ज्यादा हो जाता है। ये समस्या व्यक्ति के विभिन्न अंगों जैसे हृदय, दिमाग, फेफड़े, और किडनी के लिए परेशानी बन जाती है। अधिकतर तौर पे ये समस्या उम्र बढ़ने के साथ आम हो जाती है। उच्च रक्तचाप की रीडिंग 130 mmHg या इससे अधिक की होती है।
उच्च रक्तचाप होने के कई कारण हैं जैसे:
हाई बीपी के लक्षण हैं सिर दर्द, सीने में दर्द, धुंधली दृष्टि, सांस लेने में तकलीफ, नाक से खून आना, कानों में घंटी बजना, याद्दाश्त कमजोर होना, नींद न आना, उल्टी में खून आना, आदि।
हाई बीपी से होने वाली समस्या
उच्च रक्तचाप होने से अक्सर लोगों को किडनी की बीमारी, हृदय की बीमारी, स्ट्रोक, हार्ट अटैक, पेरिफेरल आर्टरी डिजीज, हार्ट फेल होने, आदि जैसी बीमारियों होने का खतरा होता है। ज़रूरी है कि आप हाई बीपी के लक्षण सामने आते ही चिकित्सक को दिखाएं और ज़रूरी उपचार करें।
हाई बीपी के लक्षण आपकी दिनचर्या पे गहरा असर डाल सकते हैं और आपको रोज के कामों को करने में तकलीफ हो सकती है। हाई बीपी के लक्षण कुछ इस प्रकार हैं:
जब व्यक्ति के रक्तचाप का स्तर 90/60 mmHg या इससे कम हो जाए तो निम्न रक्तचाप होता है। ये स्तर सामान्य से कम है और इससे कई स्वास्थ्य संबंधी तकलीफें हो सकती हैं।
लो बीपी के कारण – निम्न रक्तचाप के कारण हैं तनाव, पानी न पीना, बहुत ज्यादा रक्त बहना, गर्भावस्था, संक्रमण, हृदय रोग, एडिसन्स रोग, भय, रक्तदान, टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम, उच्च रक्तचाप की दवाइयाँ, अंदरूनी रक्तस्राव, हृदय की कुछ अन्य परेशानियाँ, आदि।
ब्लड प्रेशर हमेशा ही घटता या बढ़ता रहता है और इसकी वजह हमारे काम और शरीर की पोजीशन भी होती है। जब हम आराम या ध्यान की स्थिति में होते हैं, तब रक्तचाप कम हो जाता है, अथवा किसी व्यायाम जैसे दौड़ना, भागना, आदि या किसी खुशी या उत्साह की बात पर रक्तचाप बढ़ जाता है। परंतु जब बिना किसी वजह रक्तचाप बहुत ज्यादा कम या ज्यादा हो जाए, और लंबे समय तक वैसा ही रहे, तब एक चिंता की बात होती है और इसका जल्द से जल्द जांच और इलाज होना चाहिए। इसके घटने और बढ़ने के और भी वजह होती है जैसे उम्र बढ़ना, शरीर की पोजीशन बदलना, दवाइयों का सेवन, आदि।
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रक्तचाप को नापने का सही समय हमेशा आराम की स्थिति में होता है और तभी इसका सही नाप आता है। यदि आपने दौड़ने या ज्यादा चलने के बाद इसे नापा तो ये आपके शरीर का सही रक्तचाप स्तर नहीं बताएगा, बल्कि स्तर बढ़ा हुआ आएगा। बीपी को स्फिग्मोमैनोमीटर (sphygmomanometer) नाम की मशीन से नापा जाता है। अगर इस मशीन में रीडिंग ज्यादा आती है तो वो उच्च रक्तचाप होता है और कम रीडिंग निम्न रक्तचाप होता है। रक्तचाप को क्लिनिक में या घर पे भी नापा जा सकता है।
यदि आपको लो या हाई बीपी के लक्षण होने की संभावना नजर आ रही है तो को आप क्लिनिक में जाकर चेक करवाएं और यदि आप घर पर कर रहे हैं तो कुछ जरूरी बातों का पालन करना आवश्यक है, जैसे:
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रक्तचाप का सामान्य होना अच्छे स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है। लो बीपी या हाई बीपी के लक्षण न उत्पन्न हों और रक्तचाप नियंत्रित रहे, इसके लिए निम्नलिखित घरेलू उपचारों का पालन करें:
पौष्टिक और संतुलित आहार – सही समय पे, सही मात्रा और संतुलन पे खाना खाना आपको कई बीमारियों से दूर रख सकता है। कोशिश करें कि अपने आहार में भरपूर पोषण हो और उसका सेवन सही समय पर हो ताकि आपको उसका ज्यादा से ज्यादा फायदा हो सके।
खूब पानी पिएं – शरीर को सबसे ज्यादा आवश्यकता पानी की होती है इसलिए जरूरी है कि आप समय-समय पर पानी पीते रहें। अधिक से अधिक पानी पीना आपको ज्यादातर बीमारियों से बचा सकता है एवं बीपी से भी।
मोटापा कम रखें – कोशिश करें कि आपका खान-पान संतुलित मात्रा में हो और यदि आपका वजन नियंत्रित नहीं है तो उसे कम करने की कोशिश करें। अधिक मोटापा अनेक बीमारियों का कारण होता है।
नियमित जांच कराएं – यदि आपको बीपी की शिकायत है तो एक चिकित्सक से नियमित तौर पे जांच कराते रहें और उनके बताए इलाज का पालन करें।
दवाइयों का सेवन ना छोड़ें – बीपी के रोग में दवाइयां छोड़ना आपके लिए परेशानी खड़ी कर सकता है। आपके चिकित्सक ने जो भी दवाइयां आपको बताई हैं, जरूरी है कि आप उनका सेवन लगातार करें और चिकित्सक से बात किए बिना उनमें कोई बदलाव ना करें, और ना ही उनका सेवन बीच में छोड़ें।
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निष्कर्ष (Conclusion)
यदि आपको लंबे समय से बीपी की शिकायत है तो अपने चिकित्सक से लगातार संपर्क बनाए रखें और हर कुछ समय पे जांच कराते रहें। अपनी दिनचर्या में पौष्टिक आहार, व्यायाम, और ध्यान को शामिल करें। ये आपके बीपी को नियंत्रित रखने में आपकी पूरी मदद करेगा। इसके अतिरिक्त अगर आपको निम्न या उच्च रक्तचाप के लक्षणों का अनुभव हो रहा है तो क्लिनिक या घर पर ही इसकी जांच करें और चिकित्सक से संपर्क करके इसका इलाज करें। चिंता, तनाव, ज्यादा तेल या मिर्च का खाना, शराब, तंबाकू, आदि से दूर रहें।
Medically Reviewed by - Dr Ankit Gupta